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Friday, September 16, 2011

उधड़ी हुई उम्मीद


                                                                   
ए दोस्त तेरा साथ एक झटके मे क्या छूटा, यू लगा जिंदगी जैसे रुक सी गयी है
उधड़ी हुई उम्मीद की आस जब टूट गयी, तो लगा धड़कन थहम सी गयी है


जी करा की निकाल फेके इस सारे दर्द को अपने दिल के कोने कोने से
अपनी करनी पर जब हम आए तो कम्बख़्त हमारी आखे ही दगा दे गई


एक तेरे सिवा कोंन था मेरे माही, तेरे बिना तो सारी दुनिया ही उजड़ गयी है
सोचते है हम की कैसे जिए बिना आपके, यादो की रूह तो वीरानो मे खो गयी है


तन्हाई के आगोश मे गम के जाम लगाते हुए पल पल ये ख़याल आता है...
शायद मे ही नही हो पाया आपने मे पूरा, रह गया आपके बिना पूरा अधूरा

-- शरद